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हर सफलता के पीछे कुछ विफलतायें अवश्य  होती हैं

Agency | Jul 29, 2021 | 100 Steps of Success

Agency
  • Jul 29, 2021
  • 100 Steps of Success
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हर सफलता के पीछे कुछ विफलतायें अवश्य  होती हैं

जिस प्रकार दुःख के बिना सुख की और सुख के बिना दुःख की प्रतीति संभव नहीं है, उसी प्रकार विफलता के बिना सफलता की और सफलता के बिना विफलता की अनुभूति संभव नहीं है अर्थात् सफलता और विफलता तो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। 

वस्तुतः विफलताओं में ही सफलता का कमल खिलता है। हर विफलता को अन्ततः सफलता का सम्बल मिलता है इसलिए अपनी विफलताओं से घबरायें नहीं वरन् उससे सीखते चलें। जरा सोचिए, आज आप जहाँ खड़े हैं, क्या आप बिना बाधा के यहाँ आ खड़े हुए हैं? क्या आपको विफलताओं का सामना नहीं करना पड़ा? अर्थात् कई विफलताओं में से ही कोई न कोई सफलता उभर कर आ पाती है। 

आदमी सबसे चालाक प्राणी होता है। सफलता का श्रेय वह खुद लेता है और अपनी विफलताओं का दोष दूसरों के सिर मढ़ देता है। और इसे ही वह अपनी सफलता समझ लेता है किन्तु इस तरह वह खुद को ही धोखा देता है। खुद को धोखे में रखना ही सबसे बड़ी विफलता है। आदमी अपनी तमाम विफलताओं के पीछे कुछ न कुछ खुबसूरत बहाने ढूँढ़ लेता है। और इसे ही अपनी सबसे बड़ी अक्लमंदी समझ लेता है जबकि अक्लमंदी तो यही है कि इन बनावटी कारणों के बजाय असली कारण ढूँढे़ जायें और अपनी विफलताओं को सफलताओं में बदला जाये। किसी सफलता या विफलता को पिछले जन्मों के कर्मों से न जोड़ा जाये। इस अन्धविश्वास ने समाज का अब तक बहुत बड़ा नुकसान किया है।   

आदमी अपनी विफलताओं से सीखकर ही सफलता ही तरफ की बढ़ सकता है। आदमी अपनी सफलताओं की अपेक्षा, विफलताओं से बहुत कुछ सीख सकता है इसलिए बार-बार विफल होने पर भी मैदान मत छोड़िए। क्या पता, एक कदम के फासले पर ही सफलता खड़ी हो। 

हकीकत में तो जिन्दगी एक दौड़ है। जहां दौड़ है, वहां होड़ है। होड़ का मतलब प्रथम स्थान प्राप्त करना नहीं बल्कि दौड़ना होता है। याद रखें अगर आप दौड़ में बने रहोगे तो आपका भी कोई न कोई स्थान तो होगा ही। जो हकीकत  की दौड़ से बाहर हो जाता है वो जिन्दगी की दौड़ से भी बाहर हो जाता है । ढेर सारी विफलताओं के बाद भी आप दौड़ में बने रह सकते हैं। 

For Trade Inquires Mr. Ankit Modi

’भूत’ की जिस गलती को सुधारा नहीं जा सकता, उसे भूल जाना चाहिए। किन्तु भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। पर हर गलती से कुछ न कुछ अवश्य सीखा जा सकता है। सबसे बड़ा बदनसीब वही होता है जो अपनी गलतियों से कुछ भी नहीं सीखा हो। आदमी कुछ भी करे, कुछ मूढ़तायें और मूर्खतायें तो हर व्यक्ति से हो ही जाती हैं पर इसका अर्थ यह तो नहीं कि आदमी कुछ करे ही नहीं । 
अपनी कमजोरी पहचाने बिना आगे बढ़ने से कोई फायदा नहीं होगा। विफल होने के तो कई रास्ते हैं किन्तु अपनी कमजोरियों को नजर अंदाज करना सबसे आसान रास्ता है। जो व्यक्ति कुछ नहीं करता, वह एक ही गलती करता है कि वह कुछ नहीं करता किन्तु यही उसकी प्रथम व अन्तिम गलती है। इसलिए हमेशा कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। 

याद रखें हम अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं यदि हम अपनी छोटी से छोटी विफलता का भी विश्लेषण करेंगे तो हमें हर विफलता में किसी न किसी सफलता के दर्शन अवश्य होंगे। जब हम पीछे देखकर आगे बढ़ेंगे तो अवश्य सफल होंगे। काम करते रहने पर हम अपने आप सीखते चले जायेंगे। 

गलतियाँ करके सीखने की विलासिता ही क्यों पाली जाए? मजा तो तब है, जब दूसरों की गलतियों से ही सीखा जाए। जिन्दगी तो हमें एक ही मिली है और वह भी नितान्त अनिश्चित, तब गलतियाँ करने और सीखने में ही जिन्दगी खपा देने का कोई अर्थ नहीं होगा। हम दूसरों की गलतियों से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं और इस तरह अपने आर्थिक, भौतिक एवं बौद्धिक संसाधनों की बचत कर सकते हैं अर्थात् हम अपनी व दूसरों की गलतियों से गुजरते हुए ही सफलता तक पहुँच सकते हैं। 

दृष्टान्त

एक राजा ने किताबी ज्ञान के आधार पर ही योग करना आरम्भ कर दिया। प्रायोगिक जानकारी न होने से लाभ की बजाय नुकसान होने लगा। राजा ने अपनी समस्या मन्त्री के समक्ष रखी। मंत्री ने सुझाव दिया किसी योग-गुरु से परामर्श करें किन्तु अहम के कारण राजा ऐसा नहीं कर सका। योग चालू रखा किन्तु विशेष लाभ नहीं हुआ। राजा ने अपनी दुविधा पुनः मंत्री के समक्ष रखी। मंत्री ने कहा महाराज जरा सोचने का अवसर दें। दूसरे दिन मंत्री ने राजदरबार में सबके सामने अचानक सिपाहियों को आदेश दिया कि राजा को गिरफ्तार कर लिया जाये किन्तु सब एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे। आदेशों की पालना नहीं हुई। इस पर राजा ने क्रोधित होकर मंत्री को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया। आदेश की पालना में मंत्री को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया। इस पर मंत्री ने हंसते हुए अर्ज किया कि सक्षम व्यक्ति के आदेशों की ही अनुपालना हो पाती है। इसलिए अपेक्षित है कि  किसी सक्षम गुरु से योग विद्या का प्रशिक्षण प्राप्त किया जाये। 

Comments

Alphonse Rodrigue 2 years ago

To the parivahansampda.com Webmaster, exact right here: Link Text


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