+91-9414076426
Agency | Jul 17, 2025 | Mutual Funds
म्यूचुअल फंड में निवेश की रणनीति अच्छी होगी तो रिटर्न ज्यादा मिलेगा। वित्तीय लक्ष्य भी जल्दी हासिल कर सकेंगे। एसआईपी में रेगुलर टापअप, डाइवर्सिपिफकेशन, पोर्टफोलियो रिबैलेंसिंग जैसे तरीकों से औसत से ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं।
आपको कितने वर्ष में कितनी रकम की जरूरत है और उसके लिए हर माह कितना निवेश करना सही होगा, इसका आंकलन करें। चाहें तो एसआईपी कैल्कुलेटर का इस्तेमाल करें या किसी वित्त विशेषज्ञ की सलाह ले लें। सही रकम की एसआईपी करेंगे तो वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में आसानी होेगी।
सैलरी या आमदनी बढ़ने पर एसआईपी की रकम को भी उसी अनुपात में बढ़ाना यानी टाॅपअप करना चाहिए। आमतौर पर एसआईपी हर साल कम से कम 10ः बढ़ाने की सलाह दी जाती है। इससे आपका रिटर्न औसत से कई गुना बढ़ सकता है
अपने म्यूचुअल फंड पोटपफोलियो में इक्विटी, डेट, हाइब्रिड, गोल्ड-सिल्वर फंड, सेक्टोरियल या थीमैटिक फंड्स का एक सही बैलेंस रखें। बैलेंस्ड पोटफोलियो होने से मार्केट में या सेक्टर के उतार-चढ़ाव के दौरान नुकसान कम होता है।
म्यूचुअल फंड निवेश की लागत घटाने के कई तरीके हैं। कम एक्सपेंस रेश्यो वाला फंड चुनना इसमें से एक है। सही प्लान चुनकर काफी पैसे बचा सकते हैं। उचित समय पर निकासी करके एग्जिट लोड से बचा जा सकता है। टैक्स सेविंग प्लान लेकर टैक्स बचा सकते हैं।
अपने पोर्टफोलियो की नियमित समीक्षा करने से पता कर सकते हैं कि कहां नुकसान हो रहा है। जरूरत मुताबिक रणनीतिक रूप से फंड स्विच करें, पोटफोलियो रिबैलेंस करें और नुकसान से बचकर ज्यादा रिटर्न हासिल करें।
विभिन्न म्यूचुअल फंडों की छानबीन करें:-
पोर्टफोलियो बनाने से पहले, अपनी रिसर्च करना जरूरी है क्योंकि हजारों विकल्प उपलब्ध् हैं। म्यूचुअल फंड की जांच करते समय उसका ऐतिहासिक प्रदर्शन, लागत, निवेश शैली और पोटफोलियो होल्डिंग्स सहित कई बातों पर ध्यान देना चाहिए। फंड का एक्सपेंस रेश्यो भी देखें।
अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहें:-
म्यूूूचुअल फंड पोर्टफोलियो बनाने के बाद उसकी छह महीने या साल भर में नियमित रूप से समीक्षा करना चाहिए। पोर्टफोलियो का प्रदर्शन और फंड की होल्डिंग्स अगर आपके निवेश लक्ष्यों के अनुरूप नहीं है तो रणनीति बदलने पर विचार करें।
निवेश का उद्देश्य तय करें:-
म्यूचुअल फंड पोटफोलियो बनाने के लिए, सबसे पहले निवेश लक्ष्य तय करें। अगर लंबी अवधि में ज्यादा जोखिम के साथ ज्यादा रिटर्न चाहते हैं, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं। इनमें मार्केट कैप आधरित फंड जैसे स्माॅल कैप, लार्ज कैप, मिड कैप फंड या बैलेंस्ड फंड शामिल हो सकते हैं। निवेश अवधि छोटी है, जोेखिम कम रखना चाहते हैं तो हाइब्रिड फंड, डेट फंड, लिक्विड फंड, शाॅर्ट ड्यूरेशन फंड में निवेश कर सकते हैं।
एसआईपी कभी भी शुरू करें, लाॅन्ग टर्म में फायदा ही मिलेगा
म्युचुअल फंड में एसआईपी कभी भी शुरू कर सकते हैं। इसके लिए मार्केट के अनुकूल होने का इंतजार करना बेकार रहता है। मार्केट को टाइम करने के बजाय जितना ज्यादा टाइम एसआईपी के जरिए निवेशित रहेंगे, उतना ही पफायदे में रहेंगे। लंबी अवधि में एसआईपी के जरिये नियमित निवेश करने से बाजार की अस्थिरता का जोखिम कम होता है और बेहतर रिटर्न की संभावना बढ़ती है।
गिरावट के इंतजार में समय न गंवाएं
आम धरणा है कि बाजार में गिरावट के दौरान शुरू की गई एसआईपी से ज्यादा वेल्थ क्रिएशन होता है यानी ज्यादा रकम जुटाने में मदद मिलती है। लेकिन हाल ही में की गई कुछ स्टडी से अलग परिणाम मिले हैं। इन स्टडीज के मुताबिक मार्केट के हाई लेवल के दौरान शुरू किए गए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट से भी लंबे समय में ज्यादा रकम जमा होती है। यानी मार्केट के गिरने का इंतजार करने के बजाय बाजार में लंबे समय तक बने रहना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
निवेश लक्ष्यों, जोखिम क्षमता के आधार पर बनाएं पोर्टफोलियो
लाॅन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन के मामले में म्यूचुअल फंड सबसे अच्छी डाइवर्सिफाइड एसेट में से एक साबित हुए हैं। हालांकि, निवेशक अक्सर दुविधा में रहते हैं कि कौन सा फंड चुनें। बाजार में म्यूचुअल फंड विकल्पों की भरमार है। कई फंड रिटर्न, जोखिम और अन्य मापदंडों के मामले में भी एक जैसे दिखते हैं। ऐसे में इंडस्ट्री एक्सपट्र्स द्वारा किसी एक सेक्टर या फंड में निवेश करने के बजाय एक डाइवर्सिफाइड पोटफोलियो बनाने की सलाह दी जाती है।